आज सुबह मैंने "नारी" ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी और मुझे जैसा
उचित लगा मैंने अपना अभिमत उस पर टिप्पणी के रूप में दे दिया ।
कुछ ही क्षण बाद वह टिप्पणी प्रकाशित भी हो गई । जब मैंने टिप्पणी
लिखनी शुरू की थी तब तक केवल वहां एक ही टिप्पणी थी श्री मनोज
कुमार की और जब मेरी प्रकाशित हुई तब एक और लग चुकी थी सुश्री
मंजुला जी की अर्थात कुल तीन टिप्पणियां तब वहां हो चुकी थीं ।
लेकिन कुछ ही क्षण बाद
मेरी टिप्पणी वहां से गायब हो गई ।
खैर ये "नारी" ब्लॉग वालों का अधिकार है कि वो किसी टिप्पणी को
रखे या हटाये.......मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है परन्तु ये तो गलत
बात है कि आप मेरी टिप्पणी हटा भी दें और उसका लाभ भी लें
.......क्योंकि ब्लॉग पर मेरी टिप्पणी नहीं दिख रही है परन्तु
चिट्ठाजगत में देखो तो वह उसे भी गिनती में शामिल कर रहा है ।
मतलब ये हुआ कि संख्या बढ़ाने के लिए आप किसी की टिप्पणी
छाप देते हैं और वैचारिक मतभेद के कारण ख़ुद के ब्लॉग से टिप्पणी
हटा देते हैं बिना कोई कारण बताये......
आप सच के लिए लड़ने की बात करते हो और सच से इतना डरते हो ?
मेरी समझ में आप नारी के सम्मान की रक्षा करने के नाम पर नारी
का अपमान कर रहे हो - क्यों भाई क्यों ? क्या नारी इत्ती कमज़र्फ और
कायर है कि वो सच का सामना न कर सके ?
आखिर उस टिप्पणी में ऐसा क्या था जो आपकी पोल खोल रहा था !
मैं जानता हूँ आप नहीं बताएँगे.......क्योंकि बताने का सामर्थ्य ही होता
तो उसे चुपके से हटाते ही क्यों ? हा हा हा हा
चलो मैं ही दिखा देता हूँ कि उस टिप्पणी में मैंने क्या लिखा था । बाकी
निर्णय पाठक करेंगे कि मैंने उसमे जो लिखा वो गलत था या सही ?
मेरी टिप्पणी थी : बहुत ही अच्छा मुद्दा उठाया आपने........वाह ! बधाई !!
बलात्कार और यौन शोषण से बढ़िया और क्या विषय हो सकता है सुबह सुबह बांचने के लिए........साधु ! साधु ! हनुमान चालीसा सुनने के समय यौन पर विचार करना एक अद्भुत अनुभव है ..इस संयोजन के लिए आपको लाख लाख मुबारकबाद !
परन्तु मामला कुछ गड्डमड्ड हो गया है, आपने बलात्कार और यौन शोषण को शायद एक ही अर्थ में समझ लिया है जबकि ये दोनों अलग अलग क्रियाएं, अलग प्रक्रियाएं हैं, इसलिए दोनों के लिए मेरी अलग अलग प्रतिक्रियाएं हैं .
यौन शोषण देह से देह द्वारा होता है जबकि बलात्कार में देह शामिल हो, ये ज़रूरी नहीं ....बलपूर्वक किसी से कोई भी काम कराया जाये तो वह बलात्कार ही कहलाता है . जैसे फोन कर कर के किसी से किसी खास पोस्ट पर टिप्पणी कराई जाये अथवा किसी की पोस्ट पर टिप्पणी रुकवाई जाये, वह भी एक प्रकार का बलात्कार है
बहरहाल मेरा भी मत वही है जो मनोज कुमार जी का है
धन्यवाद
-अलबेला खत्री
जो टिप्पणी ब्लॉग से गायब है
उसे चिट्ठाजगत अभी भी दिखा रहा है आप स्वयं देखें :
अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने बलात्कार या यौन शोषण किया हैं { केवल शक का आधार नहीं आप को पक्का पता हैं } और आप उस व्यक्ति की शादी होते देखते हैं तो क्या ...
समाज हां, हम सामाजिक बहिष्कार करेंगे। ...
जी हां, हम सामाजिक बहिष्कार करेंगे ...
बहुत ही अच्छा मुद्दा उठाया आपने........वाह ! बधाई ... ...
samajik bahishkar iska matra ek upay hai.jo ham ka... ...