Monday, December 6, 2010

कंस की जगह अगर अपना कोई बुद्धिजीवी ब्लोगर होता ?





अविनाश वाचस्पति ने कर ली आंखें लाल

चैट पे आते ही कल मुझ से किया सवाल

"वाद-विवाद" क्यों ?

"संवाद" क्यों नहीं ?


मैंने कहा,

"अब बेवकूफों के सर पे सींग तो होते नहीं,

वरना मेरे भी होते"

और मुझसे भी पहले राक्षसराज कंस के होते"


मुकेश खोरडिया बोले,
"कंस मामा" के सींग होते भला किसलिए ?

मैं बोला,

"देवकी और
वसुदेव को बन्दीगृह में साथ-साथ रखा इसलिए"


कंस की जगह अगर अपना कोई बुद्धिजीवी ब्लोगर होता

जैसे ताऊ रामपुरिया, ललित शर्मा, राजीव तनेजा या राज भाटिया

तो ऐसी मूर्खता हरगिज़ नहीं करता

दोनों को अलग
-अलग जेल में भरता

इस प्रकार हालात अपने पक्ष में एरेन्ज कर लेता

और एक idea से अपनी life change कर लेता


रही बात सम्वाद की

और वाद-विवाद की

तो मेरा दृढ रूप से मानना है कि वाद-विवाद, बकवाद नहीं है

उन्माद के माहौल में वाद-विवाद ही सम्भव है,सम्वाद नहीं है

जब राम के देश में, राम की जन्म-भूमि तक निर्विवाद नहीं है

तो मेरा 'वाद-विवाद मंच' बनाना आम बात है, अपवाद नहीं है


क्योंकि वाद-विवाद से केवल हास और परिहास बनते हैं

बल्कि किस्से, कहानियां, किवदन्तियां इतिहास बनते हैं

वाद-विवाद नहीं होता तो कुरुक्षेत्र में गीता का जनम नहीं होता

अष्टावक्र, शुक्राचार्य, विदुर, आस्तिक जैसों का क़रम नहीं होता


विवाद तो अनिवार्य प्रक्रिया है प्रसंग को उभारने की

यानी दही को मथ - मथ कर माखन निकालने की

जब देवों और राक्षसों में कोरे सम्वाद से हल नहीं निकला

और सागर मंथन के ज़रिये जब तक हलाहल नहीं निकला

तब तक क्या हासिल हुआ था "ठन ठन गोपाल ?"



ऐरावत से लेकर अमृत तक सारे के सारे रत्न मन्थन से ही प्राप्त हुए हैं

इसलिए हे वाचस्पतिजी !

मेरी तरह आप भी मान लीजिये कि

कि उन्माद के मसले सम्वाद से नहीं,वाद-विवाद से ही समाप्त हुए हैं


-अलबेला खत्री


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16 comments:

  1. वाह वाह वाह क्या कहने भाई जी

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  2. अरे वाह!
    यहाँ भी हास्य खोज लिया और इतना ही नही हँसी-हँसी में बहुत कुछ सिखा-पढ़ा भी दिया!
    --
    अलवेला का कोई जवाब नही!

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  3. जहाँ ना पहुंचे रवि...वहाँ पहुंचे कवि...

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  4. aap to guru ho guru hansi mazak k ************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************ye star meri taraf se apne pyare super star ke liye**************************************************************************

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  5. The Best Post of The Day

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  6. Vad-Vivad
    ZINDABAD

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  7. ये वाद के रास्‍ते हैं
    चलना संभल भाल कर
    न किसी का भाल लाल कर
    न कर किसी का गाल लाल
    आंखें तो कभी भी न होंवे लाल
    नहीं तो मच जाएगा बवाल
    चश्‍मा नहीं पहना तो
    नहीं मिलेगा कोई
    आंखों में आंखें
    नहीं उतारेगा कोई
    झाड़ फूंक करेगा ब्‍लॉगर
    नहीं जाएगी लाली
    अलबेला के चेहरे वाली
    वाद में भी संवाद है
    विवाद में भी संवाद है
    वाद में वाद
    संवाद में वाद
    वाद में विवाद
    जन्‍मभूमि बाबरी विवाद हल करने का उपाय
    आप तो बस इसे पढ़ लें आज
    बेविवाद हो सकते हैं संवाद
    यदि आप सकारात्‍मक धारणा बना लें
    मत बनें चालबाज
    चालबाज वे
    जो रहते हैं चाल में
    बाज वे होते नहीं
    विवाद से डरते नहीं।
    जय हो।

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  8. vaakai vad vivad zindabad !

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  9. THE HOT BLOG OF HINDI

    ALL THE BEST ALBELA JI

    CHHA JAAO

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  10. वाद विवाद से ही संवाद होता है ..बढ़िया

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  11. चलिए, चाहे जैसे भी, संवाद बना रहे.

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  12. .....बधाई हो अलबेला जी!

    अलबेला जी का वाद विवाद का ये जोरदार ड्रामा!

    जैसे टी.वी.का घासू प्रोग्राम ..सा, रे, गा, मा..

    कंस की जगह कोई बुद्धिमान ब्लोगर होता मामा,

    ..तो हो गया होता कोई और बढिया हंगामा!

    देवकी बैठी होती ठाठ से मायके....

    और वसुदेव पर चल रहा होता...दहेज प्रताड्ना का मुकदमा!

    और अगर बेवकूफों के सींग होते...

    तो इक्का-दुक्का छोड कर..सारे ब्लोगर सींग वाले होते!

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  13. @ डॉ अरुणा कपूर जी,
    इक्का आप
    दुक्का कौन ?
    ________-___बिना सींग वाला
    जैसे दाल में तड़का बिना हींग वाला हा हा हा हा

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  14. अलबेला जी, इक्का-दुक्का...हम और आप तो हो नहीं सकते...वो तो Anonymous...निनामी-ब्लोगर ही होंगे जो अकलमंदी का परिचय देते हुए अपना नाम तक लॉकर में बंद रखे हुए है!..हा, हा, हा!

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